हर एक हार की दिलासा में तो एक चुम्बन तुम्हारा हो। हर एक हार की दिलासा में तो एक चुम्बन तुम्हारा हो।
एक रुपए और चंद अक्षरों ने 'नौ' महीने के कष्ट को बराबर कर दिया। एक रुपए और चंद अक्षरों ने 'नौ' महीने के कष्ट को बराबर कर दिया।
कौन निभाता किस का साथ कौन निभाता किस का साथ
ये कविता मेरी कविता के लिये समर्पित हैमेरा सब कुछ --- मेरी माँ मेरा बाप सब||इसका आस्तित्व मेरा होना ... ये कविता मेरी कविता के लिये समर्पित हैमेरा सब कुछ --- मेरी माँ मेरा बाप सब||इसका...
दिल तो करता है खूब कोसूं अपनी माँ को जिसने घर घर मिठाईया बांटी थी मेरे आने से, ना स दिल तो करता है खूब कोसूं अपनी माँ को जिसने घर घर मिठाईया बांटी थी मेरे आने स...
माँ ने कहा था विदा करते वक़्त ,डोली में जाती लड़की फिर ससुराल से,अरर्थी पर ही वापस आती है। माँ ने कहा था विदा करते वक़्त ,डोली में जाती लड़की फिर ससुराल से,अरर्थी पर ही वापस...